अश्वकर्ण नामक स्थान का उल्लेख मत्स्यपुराण[1] में हुआ है। यह स्थान श्राद्ध आदि करने के लिए अति पवित्र तथा उपयुक्त बताया गया है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मत्स्यपुराण 15.32
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 37 |