परशुराम क्षेत्र प्राचीन समय से ही कथाओं और साहित्य आदि में विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। मालाबार और कोंकण अर्थात् केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के सम्मिलित समुद्री क्षेत्र को ही 'परशुराम क्षेत्र' कहा गया है।
- एक जनश्रुति के अनुसार गोवा, जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी।
- कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था।
- लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम 'वाणावली' और 'वाणस्थली' इत्यादि है।
- उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
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