हारगूण (पाठांतर 'हारहूर') एक प्राचीन जनपद, जिसका उल्लेख महाभारत सभापर्व में हुआ है।
'द्वारपालं च तरसा वशे चक्रे महाद्युतिः, रामठान् हारहूणांश्च प्रतीच्याश्चैव ये नृपाः।'
उपरोक्त उल्लेख में द्वारपाल सम्भवत: 'ख़ैबर' और 'रमठ ग़ज़नी' (अफ़ग़ानिस्तान) है।
- 'हारहूण' या 'हारहूर' को वासुदेव शरण अग्रवाल ने अफ़ग़ानिस्तान की नदी 'अरगंदाबीन' माना है, जो इस देश के दक्षिण-पश्चिम भाग में बहती है। यदि यह अभिज्ञान ठीक है तो इस प्रसंग में हारहूण को इस नदी का तटवर्ती प्रदेश समझा जा सकता है।[2][3]
- यह भी संभव हो सकता है कि इस स्थान से हूणों का सम्बन्ध हो।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत सभापर्व 32, 12
- ↑ बृहत्संहिता 14, 33
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 1019 |