आग्नेय नामक स्थान का वर्णन वाल्मीकि रामायण[1] में आया है। माना जाता है कि यह स्थान सम्भवत: शिलावहा नदी के पूर्वी तट पर स्थित था। वाल्मीकि रामायण में इसका वर्णन निम्न प्रकार से है-
'एलधाने नदीं तीर्त्वा प्राप्य चापरपर्वतान्, शिलामाकुर्वन्तीं तीर्त्वा आग्नेय शल्यकर्षणम्'।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाल्मीकि रामायण, 2,71,3