स्वर्गतीर्थ
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
नवनीत कुमार (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:01, 21 जनवरी 2016 का अवतरण ('{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=स्वर्ग|लेख का नाम=स्वर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
![]() |
एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- स्वर्ग (बहुविकल्पी) |
स्वर्गतीर्थ का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है।
- महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार यह एक पवित्र तीर्थ स्थान है, जो नैमिषारण्य में है।
- यहाँ एक महीने तक पितरों को जलांजलि देने से पुरुषमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 544 |
- ↑ महाभारत अनुशासन पर्व 25.33