"मदीना": अवतरणों में अंतर
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[[अरब देश|सऊदी अरब]] गणतंत्र के हेज़ाज प्रदेश में, मक्का से 200 मील उत्तर, 2,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित नगर हैं। यह मक्का के बाद [[इस्लाम धर्म]] का दूसरा पवित्र नगर एवं तीर्थ स्थान है। [[मुहम्मद|मुहम्मद साहब]] ने मक्का से आने के बाद (622 ई.) यहाँ निवास किया था। पुराने नगर की पैगंबर मस्जिद के विस्तृत प्रांगण में मुहम्मद तथा प्रथम दो कट्टर धर्मानुयायी खलीफाओं- आबू बकर एवं उमर-की कब्रों का होना माना जाता है। इसके समीप में ही फातिमा की प्रसिद्ध कब्र है। आठवीं शताब्दी में इस मस्जिद का विस्तार किया गया था। सन् 1256 ई. एवं 1481 ई. में इसे जला दिया गया था। मूल रूप में इस नगर को यथरिब कहा जाता था। मदीना पहले [[यहूदी|यहूदियों]] का एक उपनिवेश था। मदीना को नबी का नगर<ref>(मदीनत एन नबी)</ref>, भगवान के दूत का नगर<ref>(मदीनत रसूले अल्लाह)</ref> या मद्रीत एल मुनब्बर आदि नामों से अभिहित किया जाता था। 1908 ई. में दमिश्क से यहाँ तक हैज़ाज रेलमार्ग के निर्माण के कारण इसकी उन्नति होने लगी और प्रथम विश्वयुद्ध काल तक बढ़े हुए तीर्थयात्रियों के कारण इसने पर्याप्त संपत्ति अर्जित की। | [[अरब देश|सऊदी अरब]] गणतंत्र के हेज़ाज प्रदेश में, [[मक्का (अरब)|मक्का]] से 200 मील उत्तर, 2,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित नगर हैं। यह मक्का के बाद [[इस्लाम धर्म]] का दूसरा पवित्र नगर एवं तीर्थ स्थान है। [[मुहम्मद|मुहम्मद साहब]] ने मक्का से आने के बाद (622 ई.) यहाँ निवास किया था। पुराने नगर की पैगंबर मस्जिद के विस्तृत प्रांगण में मुहम्मद तथा प्रथम दो कट्टर धर्मानुयायी खलीफाओं- आबू बकर एवं उमर-की कब्रों का होना माना जाता है। इसके समीप में ही फातिमा की प्रसिद्ध कब्र है। आठवीं शताब्दी में इस मस्जिद का विस्तार किया गया था। सन् 1256 ई. एवं 1481 ई. में इसे जला दिया गया था। मूल रूप में इस नगर को यथरिब कहा जाता था। मदीना पहले [[यहूदी|यहूदियों]] का एक उपनिवेश था। मदीना को नबी का नगर<ref>(मदीनत एन नबी)</ref>, भगवान के दूत का नगर<ref>(मदीनत रसूले अल्लाह)</ref> या मद्रीत एल मुनब्बर आदि नामों से अभिहित किया जाता था। 1908 ई. में दमिश्क से यहाँ तक हैज़ाज रेलमार्ग के निर्माण के कारण इसकी उन्नति होने लगी और प्रथम विश्वयुद्ध काल तक बढ़े हुए तीर्थयात्रियों के कारण इसने पर्याप्त संपत्ति अर्जित की। | ||
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सऊदी अरब गणतंत्र के हेज़ाज प्रदेश में, मक्का से 200 मील उत्तर, 2,200 फुट की ऊँचाई पर स्थित नगर हैं। यह मक्का के बाद इस्लाम धर्म का दूसरा पवित्र नगर एवं तीर्थ स्थान है। मुहम्मद साहब ने मक्का से आने के बाद (622 ई.) यहाँ निवास किया था। पुराने नगर की पैगंबर मस्जिद के विस्तृत प्रांगण में मुहम्मद तथा प्रथम दो कट्टर धर्मानुयायी खलीफाओं- आबू बकर एवं उमर-की कब्रों का होना माना जाता है। इसके समीप में ही फातिमा की प्रसिद्ध कब्र है। आठवीं शताब्दी में इस मस्जिद का विस्तार किया गया था। सन् 1256 ई. एवं 1481 ई. में इसे जला दिया गया था। मूल रूप में इस नगर को यथरिब कहा जाता था। मदीना पहले यहूदियों का एक उपनिवेश था। मदीना को नबी का नगर[1], भगवान के दूत का नगर[2] या मद्रीत एल मुनब्बर आदि नामों से अभिहित किया जाता था। 1908 ई. में दमिश्क से यहाँ तक हैज़ाज रेलमार्ग के निर्माण के कारण इसकी उन्नति होने लगी और प्रथम विश्वयुद्ध काल तक बढ़े हुए तीर्थयात्रियों के कारण इसने पर्याप्त संपत्ति अर्जित की।
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