वारवन नामक एक प्राचीन प्रदेश का उल्लेख 'बृहत्संहिता' नामक ज्योतिष ग्रन्थ[1] में हुआ है।
- 'बृहत्संहिता' में इस देश का गंधार के साथ उल्लेख है।
- यहाँ के निवासियों को 'शूलिक' कहा गया है।
- संभव है कि इस देश का 'वंक्षु' से संबंध हो, जैसा कि नाम से प्रतीत होता है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बृहत्संहिता 9,21;16,35
- ↑
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 883 |
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