"द्वादशाहयज्ञ फलावाप्ति तृतीया": अवतरणों में अंतर
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*एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है। | *एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है। | ||
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*विभिन्न नामों से, यथा—केशव, नारायण, माधव आदि विष्णु की पूजा होती है। | *विभिन्न नामों से, यथा—केशव, नारायण, माधव आदि विष्णु की पूजा होती है। | ||
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12:27, 28 मार्च 2012 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- एक वर्ष एक प्रति तृतीया (सम्भवतः शुक्ल पर) को यह व्रत किया जाता है।
- 12 अर्ध दिव्य प्राणियों की; जिन्हें 'साध्य' कहा जाता है, पूजा की जाती है।[1]
- अनुशासन पर्व[2] में उपवास की व्यवस्था है, जो मार्गशीर्ष (शुक्ल) की द्वादशी से आरम्भ होता है।
- विभिन्न नामों से, यथा—केशव, नारायण, माधव आदि विष्णु की पूजा होती है।
- कर्ता को वही पुण्य या पुरस्कार प्राप्त होते हैं, जो अश्वमेध, वाजपेय एवं अन्य वैदिक यज्ञ करने से प्राप्त होते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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