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*प्रतिमायुक्त 12 कलशों का ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। | *प्रतिमायुक्त 12 कलशों का ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। |
12:09, 6 जनवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर करना चाहिए।
- दशमी को एकभक्त रहना चाहिए।
- एकादशी पर उपवास करना चाहिए।
- सर्वप्रथम सूर्य पूजा और उसके उपरान्त विष्णु पूजा करनी चाहिए।
- कर्ता को विचार, कर्म एवं वचन से पवित्र रहना होता है।
- एक जलपूर्ण कलश की स्थापना करनी चाहिए।
- जिसमें कुंकुम, मोती एवं बहुमूल्य रत्न डाले गये रहते हैं, उसे वस्त्र से ढक दिया जाता है।
- उसमें केशव की स्वर्ण प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
- पौष, माघ तथा आगे के मासों की अन्य द्वादशियों पर विष्णु के विभिन्न नामों (यथा– नारायण, माधव आदि) की पूजा करनी चाहिए।
- यह व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए।
- प्रतिमायुक्त 12 कलशों का ब्राह्मणों को दान करना चाहिए।
- इसी प्रकार 12 गायों, वस्त्रों या (यदि धनहीन हो) एक गाय तथा सोने से युक्त पात्र का दान करना चाहिए।[1]
- अग्निपुराण[2] ने नामद्वादशी की चर्चा की है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1063-1072, विष्णुपुराण से उद्धरण)
- ↑ (अग्निपुराण 188|11)
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