व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "तत्व " to "तत्त्व ") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*जब [[सप्तमी]] [[षष्ठी]] एवं [[अष्टमी]] से विद्ध हो तो सप्तमी का व्रत षष्ठी से विद्ध सप्तमी पर होना चाहिए। | *जब [[सप्तमी]] [[षष्ठी]] एवं [[अष्टमी]] से विद्ध हो तो सप्तमी का व्रत षष्ठी से विद्ध सप्तमी पर होना चाहिए। | ||
− | *किन्तु यदि किसी कारण से षष्ठी से युक्त सप्तमी न मानी जाए तो अष्टमी से युक्त सप्तमी ग्रहण करनी चाहिए।<ref>कालनिर्णय (192-194); | + | *किन्तु यदि किसी कारण से षष्ठी से युक्त सप्तमी न मानी जाए तो अष्टमी से युक्त सप्तमी ग्रहण करनी चाहिए।<ref>कालनिर्णय (192-194); तिथितत्त्व (35-36); पुरुषार्थचिन्तामणि (103-104)।</ref> |
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
07:15, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जब सप्तमी षष्ठी एवं अष्टमी से विद्ध हो तो सप्तमी का व्रत षष्ठी से विद्ध सप्तमी पर होना चाहिए।
- किन्तु यदि किसी कारण से षष्ठी से युक्त सप्तमी न मानी जाए तो अष्टमी से युक्त सप्तमी ग्रहण करनी चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कालनिर्णय (192-194); तिथितत्त्व (35-36); पुरुषार्थचिन्तामणि (103-104)।
संबंधित लेख
|