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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
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*व्यतीपात 27 योगों ([[विष्कम्भ]], [[प्रीति]] आदि) में एक है।
 
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*भुजबलभीम <ref>भुजबलभीम पृष्ठ 37, [[श्लोक]] 136-138</ref> ने इसकी व्याख्या कई प्रकार से की है। <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (242</ref>
 
*व्यतीपात दिन पर एक बड़ी नदी में पंचगव्य के साथ नहाना चाहिए।
 
*व्यतीपात दिन पर एक बड़ी नदी में पंचगव्य के साथ नहाना चाहिए।
 
*एक स्वर्णिम [[कमल]] पर 18 हाथों वाले व्यतीपात की स्वर्णिम प्रतिमा रखी जानी चाहिए, उसकी पूजा गंध आदि से होनी चाहिए।
 
*एक स्वर्णिम [[कमल]] पर 18 हाथों वाले व्यतीपात की स्वर्णिम प्रतिमा रखी जानी चाहिए, उसकी पूजा गंध आदि से होनी चाहिए।
 
*व्यतीपातव्रत दिन उपवास; एक वर्ष तक रखना चाहिर्।
 
*व्यतीपातव्रत दिन उपवास; एक वर्ष तक रखना चाहिर्।
 
*13वें व्यतीपात पर उद्यापन करना चाहिए।
 
*13वें व्यतीपात पर उद्यापन करना चाहिए।
*[[घी]], [[दूध]], [[तिल]] तथा [[दूध]] गिराने वाले [[वृक्ष|वृक्षों]] की समिधाओं से 'व्यतीपाताय स्वाहा' के साथ सौ आहुतियाँ, व्यतीपात [[सूर्य देव|सूर्य]] एवं [[चन्द्र देव|चन्द्र]] का पुत्र माना जाता है।
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*[[घी]], [[दूध]], [[तिल]] तथा [[दूध]] गिराने वाले वृक्षों की समिधाओं से 'व्यतीपाताय स्वाहा' के साथ सौ आहुतियाँ, व्यतीपात [[सूर्य देव|सूर्य]] एवं [[चन्द्र देवता|चन्द्र]] का पुत्र माना जाता है।
*धर्मशास्त्र में <ref>धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के इण्डियन एण्टीक्वेरी (इण्डियन एण्टीक्वेरी जिल्द 23, पृ0 117, संख्या 27 शिलालेख, [[शक संवत्]] 1199, 1277 ई0)</ref>, व्यतीपात पुण्य का उल्लेख है, व व्यतीपात के कई अर्थ दिये गये हैं।  
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*धर्मशास्त्र में <ref>धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के इण्डियन एण्टीक्वेरी (इण्डियन एण्टीक्वेरी जिल्द 23, पृ0 117, संख्या 27 शिलालेख, [[शक संवत]] 1199, 1277 ई.</ref>, व्यतीपात पुण्य का उल्लेख है, व व्यतीपात के कई अर्थ दिये गये हैं।  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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12:48, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • व्यतीपात 27 योगों (विष्कम्भ, प्रीति आदि) में एक है।
  • भुजबलभीम [1] ने इसकी व्याख्या कई प्रकार से की है। [2]
  • व्यतीपात दिन पर एक बड़ी नदी में पंचगव्य के साथ नहाना चाहिए।
  • एक स्वर्णिम कमल पर 18 हाथों वाले व्यतीपात की स्वर्णिम प्रतिमा रखी जानी चाहिए, उसकी पूजा गंध आदि से होनी चाहिए।
  • व्यतीपातव्रत दिन उपवास; एक वर्ष तक रखना चाहिर्।
  • 13वें व्यतीपात पर उद्यापन करना चाहिए।
  • घी, दूध, तिल तथा दूध गिराने वाले वृक्षों की समिधाओं से 'व्यतीपाताय स्वाहा' के साथ सौ आहुतियाँ, व्यतीपात सूर्य एवं चन्द्र का पुत्र माना जाता है।
  • धर्मशास्त्र में [3], व्यतीपात पुण्य का उल्लेख है, व व्यतीपात के कई अर्थ दिये गये हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भुजबलभीम पृष्ठ 37, श्लोक 136-138
  2. वर्षक्रियाकौमुदी (242
  3. धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के इण्डियन एण्टीक्वेरी (इण्डियन एण्टीक्वेरी जिल्द 23, पृ0 117, संख्या 27 शिलालेख, शक संवत 1199, 1277 ई.

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