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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
*यह व्रत [[कार्तिक]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[दशमी]] को से प्रारम्भ करना चाहिए।  
 
*यह व्रत [[कार्तिक]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[दशमी]] को से प्रारम्भ करना चाहिए।  
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*विष्णुधर्मोत्तरपुराण<ref>विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|176|1</ref> में दस विश्वेदेवों के नाम दिये गये हैं, जो [[केशव]] की अभिव्यक्तियाँ हैं।  
 
*मण्डलों या प्रतिमा रूपों में उनकी पूजा, एक वर्ष तक करनी चाहिए।
 
*मण्डलों या प्रतिमा रूपों में उनकी पूजा, एक वर्ष तक करनी चाहिए।
 
*अन्त में स्वर्ण का दान करना चाहिए।  
 
*अन्त में स्वर्ण का दान करना चाहिए।  

12:38, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की दशमी को से प्रारम्भ करना चाहिए।
  • विष्णुधर्मोत्तरपुराण[1] में दस विश्वेदेवों के नाम दिये गये हैं, जो केशव की अभिव्यक्तियाँ हैं।
  • मण्डलों या प्रतिमा रूपों में उनकी पूजा, एक वर्ष तक करनी चाहिए।
  • अन्त में स्वर्ण का दान करना चाहिए।
  • इससे विश्वेदेवलोक की प्राप्ति होती है।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|176|1
  2. विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|176|1-5)।

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