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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
*यह व्रत किसी [[मास]] की [[प्रतिपदा]] पर करना चाहिए।  
 
*यह व्रत किसी [[मास]] की [[प्रतिपदा]] पर करना चाहिए।  
*विद्या एवं धन के इच्छुक व्यक्ति को एक वर्गाकार आकृति में चावल से निर्मित [[विष्णु]] एवं [[लक्ष्मी]] की प्रतिमाओं की पूजा, पूर्णरूप से खिले [[कमल|कमलों]] (1000 या कुछ कम) दूध एवं पायस से करनी चाहिए। उनके पार्श्व में [[सरस्वती]] की भी पूजा होनी चाहिए और [[चंद्र देवता|चन्द्र]] की पूजा भी की जाती है।
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*गुरु का सम्मान करना चाहिए। उस दिन उपवास करके दूसरे दिन विष्णु की पूजा करें।
 
*गुरु का सम्मान करना चाहिए। उस दिन उपवास करके दूसरे दिन विष्णु की पूजा करें।
*आचार्य को स्वर्ण दान करके भोजन कराना चाहिए। <ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 338-340, [[गरुड़पुराण]] से उद्धरण)।</ref>  
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*आचार्य को स्वर्ण दान करके भोजन कराना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 338-340, [[गरुड़पुराण]] से उद्धरण)।</ref>  
 
 
 
 
 
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12:29, 17 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत किसी मास की प्रतिपदा पर करना चाहिए।
  • विद्या एवं धन के इच्छुक व्यक्ति को एक वर्गाकार आकृति में चावल से निर्मित विष्णु एवं लक्ष्मी की प्रतिमाओं की पूजा, पूर्णरूप से खिले कमलों (1000 या कुछ कम) दूध एवं पायस से करनी चाहिए।
  • उनके पार्श्व में सरस्वती की भी पूजा होनी चाहिए और चन्द्र की पूजा भी की जाती है।
  • गुरु का सम्मान करना चाहिए। उस दिन उपवास करके दूसरे दिन विष्णु की पूजा करें।
  • आचार्य को स्वर्ण दान करके भोजन कराना चाहिए।[1]

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 338-340, गरुड़पुराण से उद्धरण)।

संबंधित लेख

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