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*प्रतिमास सूर्य के विभिन्न नाम प्रयुक्त, 12 ब्राह्मणों का सम्मान, अन्त में आचार्य को एक स्वर्णिम सूर्य प्रतिमा, स्वर्णिम रथ एवं सारथी के साथ में दान में दें।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 757-760, [[भविष्यपुराण]] से उद्धरण)।</ref>
 
*प्रतिमास सूर्य के विभिन्न नाम प्रयुक्त, 12 ब्राह्मणों का सम्मान, अन्त में आचार्य को एक स्वर्णिम सूर्य प्रतिमा, स्वर्णिम रथ एवं सारथी के साथ में दान में दें।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 757-760, [[भविष्यपुराण]] से उद्धरण)।</ref>
  
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10:42, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर करना चाहिए।
  • इसमें सूर्य देवता की एक वर्ष तक पूजा करनी चाहिए।
  • प्रतिमास सूर्य के विभिन्न नाम प्रयुक्त, 12 ब्राह्मणों का सम्मान, अन्त में आचार्य को एक स्वर्णिम सूर्य प्रतिमा, स्वर्णिम रथ एवं सारथी के साथ में दान में दें।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 757-760, भविष्यपुराण से उद्धरण)।

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