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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।  
*[[चैत्र]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[त्रयोदशी]] को, जब वह [[शतभिषा नक्षत्र|शतभिषा]] [[नक्षत्र]]<ref>जिसके [[देवता]] [[वरुण देवता|वरुण]] हैं)</ref> में पड़े तो उसे वारुणी कहते हैं, जो कि एक करोड़ सूर्य ग्रहण के समान है।
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*[[चैत्र]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[त्रयोदशी]] को, जब वह [[शतभिषा नक्षत्र|शतभिषा]] [[नक्षत्र]]<ref>जिसके [[देवता]] [[वरुण देवता|वरुण]] हैं</ref> में पड़े तो उसे वारुणी कहते हैं, जो कि एक करोड़ सूर्य ग्रहण के समान है।
 
*यदि यह इसके साथ [[शनिवार]] को पड़े तो महावारुणी कही जाती है।
 
*यदि यह इसके साथ [[शनिवार]] को पड़े तो महावारुणी कही जाती है।
*इन सब बातों के साथ यदि शुभ योग पड़े तो इसे महा-महा-वारुणी कहा जाता है। <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (518-519); कृत्यतत्त्व (463); स्मृतिकौस्तुभ (107); गदाधरपद्धति (611, [[स्कन्दपुराण]] से उर्द्धरत); कालतत्त्वविवेचन (189-190)</ref>
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*इन सब बातों के साथ यदि शुभ योग पड़े तो इसे महा-महा-वारुणी कहा जाता है। <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (518-519); कृत्यतत्त्व (463); स्मृतिकौस्तुभ (107); गदाधरपद्धति (611, [[स्कन्दपुराण]] से उर्द्धरत); कालतत्त्वविवेचन (189-190</ref>
  
 
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13:00, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को, जब वह शतभिषा नक्षत्र[1] में पड़े तो उसे वारुणी कहते हैं, जो कि एक करोड़ सूर्य ग्रहण के समान है।
  • यदि यह इसके साथ शनिवार को पड़े तो महावारुणी कही जाती है।
  • इन सब बातों के साथ यदि शुभ योग पड़े तो इसे महा-महा-वारुणी कहा जाता है। [2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जिसके देवता वरुण हैं
  2. वर्षक्रियाकौमुदी (518-519); कृत्यतत्त्व (463); स्मृतिकौस्तुभ (107); गदाधरपद्धति (611, स्कन्दपुराण से उर्द्धरत); कालतत्त्वविवेचन (189-190

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