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*रात्रि में प्रत्येक 15 पर चन्द्र को अर्ध्य देना चाहिए। | *रात्रि में प्रत्येक 15 पर चन्द्र को अर्ध्य देना चाहिए। | ||
− | *देह शद्धि के लिए प्रत्येक अवधि में विभिन्न पदार्थों का प्रयोग, यथा–पंचगव्य, कुश जल, सूर्य किरण से तप्त जल करना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 664-666, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण | + | *देह शद्धि के लिए प्रत्येक अवधि में विभिन्न पदार्थों का प्रयोग, यथा–पंचगव्य, कुश जल, सूर्य किरण से तप्त जल करना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 664-666, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण</ref> |
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12:59, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- फाल्गुन पूर्णिमा पर लक्ष्मीनारायण व्रत किया जाता है।
- लक्ष्मीनारायणव्रत तिथि; वर्ष भर प्रत्येक पूर्णिमा पर, वर्ष को चार मासों के तीन भागों में बाँटकर किया जाता है।
- आषाढ़ से आगे चार मासों में श्रीधर एवं श्री के नामों का प्रयोग, कार्तिका को लेकर चार मासों में केशव एवं भूति के नामों का प्रयोग करना चाहिए।
- रात्रि में प्रत्येक 15 पर चन्द्र को अर्ध्य देना चाहिए।
- देह शद्धि के लिए प्रत्येक अवधि में विभिन्न पदार्थों का प्रयोग, यथा–पंचगव्य, कुश जल, सूर्य किरण से तप्त जल करना चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 664-666, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण
संबंधित लेख
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