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*इस जयन्ती पर उपवास एवं हरि पूजा से कर्ता के एक सौ पूर्व जीवनों पाप कट जाते हैं।
 
*इस जयन्ती पर उपवास एवं हरि पूजा से कर्ता के एक सौ पूर्व जीवनों पाप कट जाते हैं।
 
*यह रोहिणीव्रत एक सौ [[एकादशी]] व्रतों से उत्तम है।<ref>राजमार्तण्ड (1231-1255); कृत्यरत्नाकर (258); वर्षक्रियाकौमुदी (298-304)</ref>
 
*यह रोहिणीव्रत एक सौ [[एकादशी]] व्रतों से उत्तम है।<ref>राजमार्तण्ड (1231-1255); कृत्यरत्नाकर (258); वर्षक्रियाकौमुदी (298-304)</ref>
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10:35, 21 मार्च 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को, जब वह रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है, रोहिण्याष्टमी जयन्ती कहा जाता है।
  • जब अष्टमी अर्धरात्रि के पूर्व एवं उपरान्त एक कला तक बढ़ी रहती है तो वह अत्यन्त पवित्र काल माना जाता है और उसी समय भगवान हरि का जन्म हुआ था।
  • इस जयन्ती पर उपवास एवं हरि पूजा से कर्ता के एक सौ पूर्व जीवनों पाप कट जाते हैं।
  • यह रोहिणीव्रत एक सौ एकादशी व्रतों से उत्तम है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजमार्तण्ड (1231-1255); कृत्यरत्नाकर (258); वर्षक्रियाकौमुदी (298-304)

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