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*होम, गोबर से लीपे गए आँगन में लाल चन्दन के लेप से एक षोडश दल कमल बनाना चाहिए; जिसके प्रत्येक दल पर पूर्व से आरम्भ कर कतिपय देवों को प्रतिष्ठापित करना चाहिए।  
 
*होम, गोबर से लीपे गए आँगन में लाल चन्दन के लेप से एक षोडश दल कमल बनाना चाहिए; जिसके प्रत्येक दल पर पूर्व से आरम्भ कर कतिपय देवों को प्रतिष्ठापित करना चाहिए।  
 
*तब आहावान से आरम्भ कर अन्य उपचार सम्पादिन करने चाहिए।  
 
*तब आहावान से आरम्भ कर अन्य उपचार सम्पादिन करने चाहिए।  
*उस दिन उपवास; एक वर्ष तक, छ: रसों (मधुर, लवण, तिक्त, कषाय, कटु, अम्ल) में किसी एक को दो मास तक खाना चाहिए और तेरहवें [[मास]] में [[पारण]] तथा एक कपिला गाय का दान; मोक्ष प्राप्ति कराता है <ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 780-783)</ref>ऐसी मान्यता है।
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*उस दिन उपवास; एक वर्ष तक, छ: रसों (मधुर, लवण, तिक्त, कषाय, कटु, अम्ल) में किसी एक को दो मास तक खाना चाहिए और तेरहवें [[मास]] में [[पारण]] तथा एक कपिला गाय का दान; मोक्ष प्राप्ति कराता है।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 780-783)</ref> ऐसी मान्यता है।
  
  

15:29, 14 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • जब सप्तमी को हस्त नक्षत्र हो या पुण्य नक्षत्र हो तो यह व्रत किया जाना चाहिए।
  • कर्ता को 'अर्क' के 'प्रणाम' के साथ अर्क की टहनी से अपने दाँत स्वच्छ करने चाहिए।
  • होम, गोबर से लीपे गए आँगन में लाल चन्दन के लेप से एक षोडश दल कमल बनाना चाहिए; जिसके प्रत्येक दल पर पूर्व से आरम्भ कर कतिपय देवों को प्रतिष्ठापित करना चाहिए।
  • तब आहावान से आरम्भ कर अन्य उपचार सम्पादिन करने चाहिए।
  • उस दिन उपवास; एक वर्ष तक, छ: रसों (मधुर, लवण, तिक्त, कषाय, कटु, अम्ल) में किसी एक को दो मास तक खाना चाहिए और तेरहवें मास में पारण तथा एक कपिला गाय का दान; मोक्ष प्राप्ति कराता है।[1] ऐसी मान्यता है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 2, 780-783)

सम्बंधित लिंक

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