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*ऐसी मान्यता है कि कर्ता भानु लोक को जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 12-13)</ref>;<ref> हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 523-524, [[भविष्य पुराण]] से उद्धरण)</ref>; <ref>कृत्यरत्नाकर (278)</ref>
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*ऐसी मान्यता है कि कर्ता भानु लोक को जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 12-13</ref>;<ref> हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 523-524, [[भविष्य पुराण]] से उद्धरण</ref>; <ref>कृत्यरत्नाकर (278</ref>
 
 
 
 
  

12:54, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • भाद्र शुक्ल षष्ठी को जब रविवार पड़ता है तो भद्र कहलाता है।
  • उस दिन उपवास या नक्त करना चाहिए।
  • मध्याह्न में सूर्य की मालती पुष्पों, चन्दन, विजय धूप एवं पायस नैवेद्य से पूजा की जाती है।
  • यह वार व्रत है।
  • इसमें ब्राह्मण को दक्षिणा दी जाती है।
  • ऐसी मान्यता है कि कर्ता भानु लोक को जाता है।[1];[2]; [3]

 


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रत0 12-13
  2. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 523-524, भविष्य पुराण से उद्धरण
  3. कृत्यरत्नाकर (278

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