पर्वताष्टमी व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • नवमी पर हिमालय, हेमकूट, निषध, नील, श्वेत, श्रृंगवान्, मेरु, माल्यवान्, गन्धमादन नामक पर्वतों तथा किम्पुरुष, उत्तर कुरु नामक वर्षों (देशों) की पूजा की जाती है।
  • चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को उपवास रखा जाता है।
  • यह व्रत एक वर्ष तक रखा जाता है।
  • अन्त में चाँदी का दान दिया जाता है।[1]

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|175|1-7)।

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