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09:42, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की तृतीया से आरम्भ होता है।
- यह व्रत एक वर्ष किया जाता है।
- प्रति मास गौरी के 12 नामों में एक की पूजा होती है।
- 12 नाम इस प्रकार हैं—गौरी, काली, उमा, भद्रा, दुर्गा, कान्ति, सरस्वती, मंगला, वैष्णवी, लक्ष्मी, शिवा, नारायणी।
- कर्ता स्वर्ग को जाता है।
- महेश्वर के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा करता है।
- इसे करने से पत्नि वियोग नहीं होता है।
- हरिहर की प्रतिमा का किसी एक नाम से पूजन करता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 477-478); कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 55-56)।
संबंधित लेख
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