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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[वैशाख]] [[शुक्ल पक्ष]] की चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता है।
 
*[[वैशाख]] [[शुक्ल पक्ष]] की चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता है।
 
*यदि [[स्वाति नक्षत्र]] हो, शनिवार हो, सिद्धि योग एवं वणिज करण हो तो करोड़ गुना पुण्य होता है।
 
*यदि [[स्वाति नक्षत्र]] हो, शनिवार हो, सिद्धि योग एवं वणिज करण हो तो करोड़ गुना पुण्य होता है।
 
*नरसिंह (अवतार) देवता की पूजा की जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2|14-49, नरसिंह पुराण से उद्धरण); पुरुषार्थचिन्तामणि (237-238); समयमयूख (98),</ref>  
 
*नरसिंह (अवतार) देवता की पूजा की जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2|14-49, नरसिंह पुराण से उद्धरण); पुरुषार्थचिन्तामणि (237-238); समयमयूख (98),</ref>  
*पुरुषचिन्तामणि आदि ने इसे [[नृसिंह जयन्ती]] कहा है।<ref>स्मृतिकौस्तुभ (114)</ref>  
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*यदि यह 13 या 15वीं से युक्त हो तब वह दिन जब 14वीं तिथि सूर्यास्त के समय उपस्थित हो तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।  
 
*यदि यह 13 या 15वीं से युक्त हो तब वह दिन जब 14वीं तिथि सूर्यास्त के समय उपस्थित हो तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।  
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*यह तमिल पांचांगों में भी पायी जाती है।  
 
*नृसिंह भगवान् वैशाख शुक्ल की चतुर्दशी को स्वाति नक्षत्र में प्रकट हुए थे।  
 
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12:51, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता है।
  • यदि स्वाति नक्षत्र हो, शनिवार हो, सिद्धि योग एवं वणिज करण हो तो करोड़ गुना पुण्य होता है।
  • नरसिंह (अवतार) देवता की पूजा की जाती है।[1]
  • पुरुषचिन्तामणि आदि ने इसे नृसिंह जयन्ती कहा है।[2]
  • यदि यह 13 या 15वीं से युक्त हो तब वह दिन जब 14वीं तिथि सूर्यास्त के समय उपस्थित हो तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
  • वर्षक्रियाकौमुदी[3] ने पूजा की एक लम्बी विधि दी है।
  • यह तमिल पांचांगों में भी पायी जाती है।
  • नृसिंह भगवान् वैशाख शुक्ल की चतुर्दशी को स्वाति नक्षत्र में प्रकट हुए थे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2|14-49, नरसिंह पुराण से उद्धरण); पुरुषार्थचिन्तामणि (237-238); समयमयूख (98),
  2. स्मृतिकौस्तुभ (114
  3. वर्षक्रियाकौमुदी (पृ0 145-152

अन्य संबंधित लिंक

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