नन्दानवमी व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी[1] और शुक्ल पक्ष की नवमी[2] को नन्दा कहा जाता है।
  • वर्ष भर तीन अवधियों में दुर्गा पूजा की जाती है।
  • सप्तमी को एक भक्त, अष्टमी को उपवास रखा जाता है।
  • जाती एवं कदम्ब के पुष्पों से शिव की पूजा की जाती है।
  • दुर्गा प्रतिमा को दूर्वाओं पर रखा जाता है।
  • जागरण कराया जाता है।
  • नाटकाभिनय तथा नन्दा मन्त्र (ओं नन्दायै नमः) का जप किया जाता है।
  • नवमी के प्रातःकाल चण्डिका की पूजा की जाती है।
  • कुमारियों को भोजन कराया जाता है।[3]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (कृत्यकल्पतरु के मत से)
  2. (हेमाद्रि के मत से)
  3. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 303-305); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 952-954, भविष्य पुराण से उद्धरण)

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