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*नक्षत्रों के स्वामियों की पूजा, यथा—[[अश्विनी]], [[भरणी]], [[कृतिका]] आदि के क्रम से स्वामी अश्विनीकुमारों, यम, अग्नि आदि की इसमें दीर्घ आयु, दुर्घटना-मृत्यु से छुटकारा, समृद्धि की प्राप्ति होती है।<ref>[[वायु पुराण]] (80|1-39); हेमाद्रि (व्रत0 2, 594-597); कृत्यरत्नाकर (557-560)।</ref> | *नक्षत्रों के स्वामियों की पूजा, यथा—[[अश्विनी]], [[भरणी]], [[कृतिका]] आदि के क्रम से स्वामी अश्विनीकुमारों, यम, अग्नि आदि की इसमें दीर्घ आयु, दुर्घटना-मृत्यु से छुटकारा, समृद्धि की प्राप्ति होती है।<ref>[[वायु पुराण]] (80|1-39); हेमाद्रि (व्रत0 2, 594-597); कृत्यरत्नाकर (557-560)।</ref> | ||
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09:40, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- नक्षत्रों के स्वामियों की पूजा, यथा—अश्विनी, भरणी, कृतिका आदि के क्रम से स्वामी अश्विनीकुमारों, यम, अग्नि आदि की इसमें दीर्घ आयु, दुर्घटना-मृत्यु से छुटकारा, समृद्धि की प्राप्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वायु पुराण (80|1-39); हेमाद्रि (व्रत0 2, 594-597); कृत्यरत्नाकर (557-560)।
अन्य संबंधित लिंक
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