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*कृत्यकल्पतरु (व्रत) ने केवल तीन का उल्लेख किया है, यथा—पुष्पद्वितीया, अशून्यशयन (दो प्रकार) एवं कान्तिव्रत।
 
*कृत्यकल्पतरु (व्रत) ने केवल तीन का उल्लेख किया है, यथा—पुष्पद्वितीया, अशून्यशयन (दो प्रकार) एवं कान्तिव्रत।
 
*हेमाद्रि ने 11 प्रकार दिये हैं।  
 
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*निर्णयामृत ने दो प्रकार बताये हैं, यथा—अशून्यशयन एवं [[यम द्वितीया]] और टिप्पणी की है कि अन्य मासों की द्वितीया तिथियों को अन्य व्रत प्रसिद्ध नहीं है।<ref>[[अग्नि पुराण]] (177|1-20); कृत्यकल्पतरु (व्रत0 40-48); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1|366-393); कालनिर्णय (169-172); तिथितत्त्व (29-30); पुरुषार्थचिन्तामणि (82-84); व्रतराज (78-81)</ref>
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*निर्णयामृत ने दो प्रकार बताये हैं, यथा—अशून्यशयन एवं [[यम द्वितीया]] और टिप्पणी की है कि अन्य मासों की द्वितीया तिथियों को अन्य व्रत प्रसिद्ध नहीं है।<ref>[[अग्नि पुराण]] (177|1-20); कृत्यकल्पतरु (व्रत0 40-48); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1|366-393); कालनिर्णय (169-172); तिथितत्त्व (29-30); पुरुषार्थचिन्तामणि (82-84); व्रतराज (78-81</ref>
 
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12:50, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • कृत्यकल्पतरु (व्रत) ने केवल तीन का उल्लेख किया है, यथा—पुष्पद्वितीया, अशून्यशयन (दो प्रकार) एवं कान्तिव्रत।
  • हेमाद्रि ने 11 प्रकार दिये हैं।
  • निर्णयामृत ने दो प्रकार बताये हैं, यथा—अशून्यशयन एवं यम द्वितीया और टिप्पणी की है कि अन्य मासों की द्वितीया तिथियों को अन्य व्रत प्रसिद्ध नहीं है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अग्नि पुराण (177|1-20); कृत्यकल्पतरु (व्रत0 40-48); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1|366-393); कालनिर्णय (169-172); तिथितत्त्व (29-30); पुरुषार्थचिन्तामणि (82-84); व्रतराज (78-81

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