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− | * सामान्य नियम यह है कि [[शुक्ल पक्ष]] में जब [[अष्टमी]] [[नवमी]] से युक्त रहती है तो उसे अच्छा समझना चाहिए और [[कृष्ण पक्ष]] में [[सप्तमी]] से युक्त अष्टमी को।<ref> | + | * सामान्य नियम यह है कि [[शुक्ल पक्ष]] में जब [[अष्टमी]] [[नवमी]] से युक्त रहती है तो उसे अच्छा समझना चाहिए और [[कृष्ण पक्ष]] में [[सप्तमी]] से युक्त अष्टमी को।<ref>तिथितत्त्व 40) (धर्मसिन्धु 15) हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 811-886); कालनिर्णय (194-228); कृत्यकल्पतरु (225-272); व्रतराज (256-319); वर्षक्रियाकौमुदी (38-40); पुरुषार्थचिन्तामणि (109-139</ref> |
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14:12, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- हिन्दू धर्म के अनुसार लगभग 30 अष्टमी व्रत होते हैं।
- सामान्य नियम यह है कि शुक्ल पक्ष में जब अष्टमी नवमी से युक्त रहती है तो उसे अच्छा समझना चाहिए और कृष्ण पक्ष में सप्तमी से युक्त अष्टमी को।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ तिथितत्त्व 40) (धर्मसिन्धु 15) हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 811-886); कालनिर्णय (194-228); कृत्यकल्पतरु (225-272); व्रतराज (256-319); वर्षक्रियाकौमुदी (38-40); पुरुषार्थचिन्तामणि (109-139
अन्य संबंधित लिंक
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