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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
*हस्त, पुष्य या पुनर्वस के साथ रविवार के दिन 13 महीने तक, वेश्याओं के लिए, [[विष्णु]] एवं [[कामदेव]] की पूजा।
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*[[हस्त]], [[पुष्य]] या [[पुनर्वस]] के साथ [[रविवार]] के दिन 13 महीने तक, वेश्याओं के लिए, [[विष्णु]] एवं [[कामदेव]] की पूजा करनी चाहिये।
*वेश्या रविवार को किसी ब्राह्मण से संम्भोग कराती है और 'क इदं कस्मा अदात् कामः....आदि' का पाठ करती है।<ref>अथर्ववेद (3|29|7), तैत्तिरीय ब्राह्मण (2|2|5|5–6), आपस्तम्ब श्रौत सूत्र (5|13, जहाँ कामस्तुति है), [[मत्स्य पुराण]] (अध्याय 70), [[पद्म पुराण]] (5|23|74–143), हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 2, 544–548, पद्म पुराण से उद्धरण), कृत्यरत्नाकर (605–604; मत्स्य पुराण से उद्धरण)।</ref>  
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*वेश्या रविवार को 'क इदं कस्मा अदात् कामः....आदि' का पाठ करती है।<ref>अथर्ववेद (3|29|7), तैत्तिरीय ब्राह्मण (2|2|5|5–6), आपस्तम्ब श्रौत सूत्र (5|13, जहाँ कामस्तुति है), [[मत्स्य पुराण]] (अध्याय 70), [[पद्म पुराण]] (5|23|74–143), हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 2, 544–548, पद्म पुराण से उद्धरण), कृत्यरत्नाकर (605–604; मत्स्य पुराण से उद्धरण)।</ref>  
 
*कृत्यकल्पतरु<ref>(कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड, 27–31)</ref>जहाँ इसे वेश्यादित्याड़्गदानव्रत कहा गया है।  
 
*कृत्यकल्पतरु<ref>(कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड, 27–31)</ref>जहाँ इसे वेश्यादित्याड़्गदानव्रत कहा गया है।  
  

10:39, 6 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • हस्त, पुष्य या पुनर्वस के साथ रविवार के दिन 13 महीने तक, वेश्याओं के लिए, विष्णु एवं कामदेव की पूजा करनी चाहिये।
  • वेश्या रविवार को 'क इदं कस्मा अदात् कामः....आदि' का पाठ करती है।[1]
  • कृत्यकल्पतरु[2]जहाँ इसे वेश्यादित्याड़्गदानव्रत कहा गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अथर्ववेद (3|29|7), तैत्तिरीय ब्राह्मण (2|2|5|5–6), आपस्तम्ब श्रौत सूत्र (5|13, जहाँ कामस्तुति है), मत्स्य पुराण (अध्याय 70), पद्म पुराण (5|23|74–143), हेमाद्रि (व्रतखण्ड, 2, 544–548, पद्म पुराण से उद्धरण), कृत्यरत्नाकर (605–604; मत्स्य पुराण से उद्धरण)।
  2. (कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड, 27–31)

संबंधित लिंक

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