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*इससे आकस्मिक मृत्यु से रक्षा होती है।<ref>पुरुषार्थचिन्तामणि (231 | *इससे आकस्मिक मृत्यु से रक्षा होती है।<ref>पुरुषार्थचिन्तामणि (231</ref>; <ref>स्मृतिकौस्तुभ (368</ref> | ||
12:58, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रात्रि हो जाने पर घर के बाहर 'दीपदान' किया जाता है।
- इससे आकस्मिक मृत्यु से रक्षा होती है।[1]; [2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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