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माहि सरोवर सौरभ लै, ततकाल खिले जलजातन मैं कै
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माहि सरोवर सौरभ लै,  
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ततकाल खिले जलजातन मैं कै।
  
नीठि चलै जल वास अचै, लपटाइ लता तरु मारग मैं कै
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लपटाइ लता तरु मारग मैं कै।
  
पोंछत सीतन तैं श्रम स्वेदन, खेद हरै सब राति रमै कै
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खेद हरै सब राति रमै कै।
  
आवत जाति झरोखन कैं मग, सीतल बात प्रभात समै कै।
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आवत जाति झरोखन कैं मग,  
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सीतल बात प्रभात समै कै।
  
  

07:35, 8 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

माहि सरोवर सौरभ लै -बिहारी लाल
बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

माहि सरोवर सौरभ लै,
ततकाल खिले जलजातन मैं कै।

नीठि चलै जल वास अचै,
लपटाइ लता तरु मारग मैं कै।

पोंछत सीतन तैं श्रम स्वेदन,
खेद हरै सब राति रमै कै।

आवत जाति झरोखन कैं मग,
सीतल बात प्रभात समै कै।















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