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जब आग लगे, गहरी समाधि में रम जाओ;
 
या सिर के बल हो खड़े परिक्रमा में घूमो।
 
या सिर के बल हो खड़े परिक्रमा में घूमो।
ढब और कौन हैं चतुर बुद्धि-बाजीगर के?
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ढब और कौन हैं चतुर बुद्धि - बाजीगर के?
  
 
गांधी को उल्‍टा घिसो और जो धूल झरे,
 
गांधी को उल्‍टा घिसो और जो धूल झरे,
 
उसके प्रलेप से अपनी कुण्‍ठा के मुख पर,
 
उसके प्रलेप से अपनी कुण्‍ठा के मुख पर,
ऐसी नक्‍काशी गढो कि जो देखे,बोले,
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ऐसी नक्‍काशी गढ़ो कि जो देखे, बोले,
आखिर,बापू भी और बात क्‍या कहते थे?
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आखिर, बापू भी और बात क्‍या कहते थे?
  
 
डगमगा रहे हों पांव लोग जब हंसते हों,
 
डगमगा रहे हों पांव लोग जब हंसते हों,
मत चिढ़ो,ध्‍यान मत दो इन छोटी बातों पर
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मत चिढ़ो, ध्‍यान मत दो इन छोटी बातों पर
 
कल्‍पना जगदगुरु की हो जिसके सिर पर,
 
कल्‍पना जगदगुरु की हो जिसके सिर पर,
वह भला कहां तक ठोस कदम धर सकता है?
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वह भला कहां तक ठोस क़दम धर सकता है?
  
 
औ; गिर भी जो तुम गये किसी गहराई में,
 
औ; गिर भी जो तुम गये किसी गहराई में,

14:17, 11 मई 2012 के समय का अवतरण

जब आग लगे... -रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
जन्म 23 सितंबर, सन् 1908
जन्म स्थान सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार)
मृत्यु 24 अप्रैल, सन् 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई, तमिलनाडु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएँ

सीखो नित नूतन ज्ञान, नई परिभाषाएं,
जब आग लगे, गहरी समाधि में रम जाओ;
या सिर के बल हो खड़े परिक्रमा में घूमो।
ढब और कौन हैं चतुर बुद्धि - बाजीगर के?

गांधी को उल्‍टा घिसो और जो धूल झरे,
उसके प्रलेप से अपनी कुण्‍ठा के मुख पर,
ऐसी नक्‍काशी गढ़ो कि जो देखे, बोले,
आखिर, बापू भी और बात क्‍या कहते थे?

डगमगा रहे हों पांव लोग जब हंसते हों,
मत चिढ़ो, ध्‍यान मत दो इन छोटी बातों पर
कल्‍पना जगदगुरु की हो जिसके सिर पर,
वह भला कहां तक ठोस क़दम धर सकता है?

औ; गिर भी जो तुम गये किसी गहराई में,
तब भी तो इतनी बात शेष रह जाएगी
यह पतन नहीं, है एक देश पाताल गया,
प्‍यासी धरती के लिए अमृतघट लाने को।

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