"राम-पद-पदुम पराग परी -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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कृपा-सुधा सिंचि बिबुध बेलि ज्यों फिरि सुख-फरनि फरी॥2॥ | कृपा-सुधा सिंचि बिबुध बेलि ज्यों फिरि सुख-फरनि फरी॥2॥ | ||
निगम अगम मूरति महेस मति जुबति बराय बरी। | निगम अगम मूरति महेस मति जुबति बराय बरी। | ||
− | सोइ मूरति भइ जानि नयन-पथ इकटकतें न | + | सोइ मूरति भइ जानि नयन-पथ इकटकतें न टरी॥3॥ |
− | बरनति | + | बरनति हृदय सरूप सील गुन प्रेम-प्रमोद भरी। |
− | तुलसीदास अस केहि आरतकी आरति प्रभु न | + | तुलसीदास अस केहि आरतकी आरति प्रभु न हरी॥4॥ |
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09:57, 24 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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राम-पद-पदुम पराग परी। |
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