"मेरो मन हरिजू! हठ न तजै -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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तदपि अधम बिचरत तेहि मारग, कबहुँ न मूढ़ लजै॥3॥ | तदपि अधम बिचरत तेहि मारग, कबहुँ न मूढ़ लजै॥3॥ | ||
हौं रारयौ करि जतन बिबिध बिधि, अतिसै प्रबल अजै। | हौं रारयौ करि जतन बिबिध बिधि, अतिसै प्रबल अजै। | ||
− | तुलसिदास बस होइ तबहिं जब प्रेरक प्रभु | + | तुलसिदास बस होइ तबहिं जब प्रेरक प्रभु बरजै॥4॥ |
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10:45, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण
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मेरो मन हरिजू! हठ न तजै। |
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