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निलज नीच निर्गुन निर्धन कहँ जग दूसरो न ठाकुन ठाउँ॥1॥
 
निलज नीच निर्गुन निर्धन कहँ जग दूसरो न ठाकुन ठाउँ॥1॥
 
हैं घर-घर बहु भरे सुसाहिब, सूझत सबनि आपनो दाउँ।
 
हैं घर-घर बहु भरे सुसाहिब, सूझत सबनि आपनो दाउँ।
बानर-बंधु बिभीषन हित बिनु, कोसलपाल कहूँ न समाउँ॥२॥
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बानर-बंधु बिभीषन हित बिनु, कोसलपाल कहूँ न समाउँ॥2॥
 
प्रनतारति-भंजन, जन-रंजन, सरनागत पबि पंजर नाउँ।
 
प्रनतारति-भंजन, जन-रंजन, सरनागत पबि पंजर नाउँ।
कीजै दास दास तुलसी अब, कृपासिंधु बिनु मोल बिकाउँ॥३॥
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कीजै दास दास तुलसी अब, कृपासिंधु बिनु मोल बिकाउँ॥3॥
  
 
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10:11, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

मेरे रावरिये गति रघुपति है बलि जाउँ -तुलसीदास
तुलसीदास
कवि तुलसीदास
जन्म 1532
जन्म स्थान राजापुर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1623 सन
मुख्य रचनाएँ रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
तुलसीदास की रचनाएँ

मेरे रावरिये गति रघुपति है बलि जाउँ।
निलज नीच निर्गुन निर्धन कहँ जग दूसरो न ठाकुन ठाउँ॥1॥
हैं घर-घर बहु भरे सुसाहिब, सूझत सबनि आपनो दाउँ।
बानर-बंधु बिभीषन हित बिनु, कोसलपाल कहूँ न समाउँ॥2॥
प्रनतारति-भंजन, जन-रंजन, सरनागत पबि पंजर नाउँ।
कीजै दास दास तुलसी अब, कृपासिंधु बिनु मोल बिकाउँ॥3॥

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