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मेरी चुनरी में परिगयो दाग़ पिया।
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पांच तत की बनी चुनरिया
 
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सोरह सौ बैद लाग किया।
 
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यह चुनरी मेरे मैके ते आयी
 
यह चुनरी मेरे मैके ते आयी
 
ससुरे में मनवा खोय दिया।
 
ससुरे में मनवा खोय दिया।
मल मल धोये दाग़ न छूटे
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मल मल धोये दाग न छूटे
 
ग्यान का साबुन लाये पिया।
 
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कहत कबीर दाग़ तब छुटि है
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कहत कबीर दाग तब छुटि है
 
जब साहब अपनाय लिया।  
 
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11:15, 20 दिसम्बर 2011 का अवतरण

मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया -कबीर
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया।
पांच तत की बनी चुनरिया
सोरह सौ बैद लाग किया।
यह चुनरी मेरे मैके ते आयी
ससुरे में मनवा खोय दिया।
मल मल धोये दाग न छूटे
ग्यान का साबुन लाये पिया।
कहत कबीर दाग तब छुटि है
जब साहब अपनाय लिया।













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