"बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ -बुल्ले शाह" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Bulleh-Shah.jpg...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 49: पंक्ति 49:
  
  
{{उर्दू शायर}}
+
{{भारत के कवि}}
 
[[Category:बुल्ले शाह]][[Category:कविता]][[Category:कवि]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
 
[[Category:बुल्ले शाह]][[Category:कविता]][[Category:कवि]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 
__NOEDITSECTION__
 
__NOEDITSECTION__
 
__INDEX__
 
__INDEX__

12:30, 18 फ़रवरी 2017 का अवतरण

बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ -बुल्ले शाह
बुल्ले शाह
कवि बुल्ले शाह
जन्म 1680
जन्म स्थान गिलानियाँ उच्च, वर्तमान पाकिस्तान
मृत्यु 1758
मुख्य रचनाएँ बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ, अब हम गुम हुए, किते चोर बने किते काज़ी हो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बुल्ले शाह की रचनाएँ

बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ भैनाँ ते भरजाईयाँ
'मन्न लै बुल्लेया साड्डा कैहना, छड्ड दे पल्ला राईयाँ
आल नबी, औलाद अली, नूँ तू क्यूँ लीकाँ लाईयाँ?'
'जेहड़ा सानू सईय्यद सद्दे, दोज़ख़ मिले सज़ाईयाँ
जो कोई सानू राईं आखे, बहिश्तें पींगाँ पाईयाँ
राईं-साईं सभनीं थाईं रब दियाँ बे-परवाईयाँ
सोहनियाँ परे हटाईयाँ ते कूझियाँ ले गल्ल लाईयाँ
जे तू लोड़ें बाग़-बहाराँ चाकर हो जा राईयाँ
बुल्ले शाह दी ज़ात की पुछनी? शुकर हो रज़ाईयाँ'

हिन्दी अनुवाद पाठ

बुल्ले को समझाने बहनें और भाभियाँ आईं, (उन्होंने कहा) 'हमारा कहना मान बुल्ले, आराइनों का साथ छोड़ दे। नबी के परिवार और अली के वंशजों को क्यों कलंकित करता है?'

बुल्ले ने जवाब दिया- जो मुझे सैय्यद बुलाएगा उसे दोज़ख़ (नरक) में सज़ा मिलेगी। जो मुझे आराइन कहेगा उसे बहिश्त (स्वर्ग) के सुहावने झूले मिलेंगे। आराइन और सैय्यद इधर-उधर पैदा होते रहते हैं, परमात्मा को ज़ात की परवाह नहीं। वह ख़ूबसूरतों को परे धकेलता है और बदसूरतों को गले लगता है। अगर तू बाग़-बहार (स्वर्ग) चाहता है, आराइनों का नौकर बन जा। बुल्ले की ज़ात क्या पूछता है? भगवान की बनाई दुनिया के लिए शुक्र मना'