"कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
 
परुष बचन अति दुसह स्रवन, सुनि तेहि पावक न दहौगो।
 
परुष बचन अति दुसह स्रवन, सुनि तेहि पावक न दहौगो।
 
बिगत मान सम सीतल मन, पर-गुन, नहिं दोष कहौगो।
 
बिगत मान सम सीतल मन, पर-गुन, नहिं दोष कहौगो।
परिहरि देहजनित चिंता दुख सुख समबुद्धि सहौगो।
+
परिहरि देहजनित चिंता दु:ख सुख समबुद्धि सहौगो।
 
तुलसीदास प्रभु यहि पथ रहि अबिचल हरिभक्ति लहौगो।  
 
तुलसीदास प्रभु यहि पथ रहि अबिचल हरिभक्ति लहौगो।  
  

14:01, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
तुलसीदास
कवि तुलसीदास
जन्म 1532
जन्म स्थान राजापुर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1623 सन
मुख्य रचनाएँ रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
तुलसीदास की रचनाएँ

कबहुंक हौं यहि रहनि रहौगो।
श्री रघुनाथ-कृपाल-कृपा तैं, संत सुभाव गहौगो।
जथा लाभ संतोष सदा, काहू सों कछु न चहौगो।
परहित निरत निरंतर, मन क्रम बचन नेम निबहौगो।
परुष बचन अति दुसह स्रवन, सुनि तेहि पावक न दहौगो।
बिगत मान सम सीतल मन, पर-गुन, नहिं दोष कहौगो।
परिहरि देहजनित चिंता दु:ख सुख समबुद्धि सहौगो।
तुलसीदास प्रभु यहि पथ रहि अबिचल हरिभक्ति लहौगो।

संबंधित लेख