(कपिल मुनि से पुनर्निर्देशित)
कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक थे, जिन्हें भगवान विष्णु का पंचम अवतार माना जाता है। इनकी माता का नाम देवहुती व पिता का नाम कर्दम था। कपिल मुनि की माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र की कामना की थी। अतः भगवान विष्णु ने स्वयं उनके गर्भ से जन्म लिया था। कर्दम जब सन्न्यास लेकर वन जाने लगे तो देवहूती ने कहा, "स्वामी मेरा क्या होगा?" इस पर ऋषि कर्दम ने कहा कि "तेरा पुत्र ही तुझे ज्ञान देगा।" समय आने पर कपिल ने माता को जो ज्ञान दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाया।
जन्म विवरण
कपिल सांख्यशास्त्र के प्रवर्तक थे। इनके समय और जन्म स्थान के बारे में निश्चय नहीं किया जा सकता। बहुत से विद्वानों को तो इनकी ऐतिहासिकता में ही संदेह है। पुराणों तथा महाभारत में इनका उल्लेख हुआ है। कहा जाता है, प्रत्येक कल्प के आदि में कपिल जन्म लेते हैं। जन्म के साथ ही सारी सिद्धियाँ इनको प्राप्त होती हैं। इसीलिए इनको 'आदिसिद्ध' और 'आदिविद्वान' कहा जाता है। महाभारत में ये सांख्य के वक्ता कहे गए हैं। इनको अग्नि का अवतार और ब्रह्मा का मानसपुत्र भी पुराणों में कहा गया है। श्रीमद्भगवत के अनुसार कपिल विष्णु के पंचम अवतार माने गए हैं। कर्दम और देवहूति से इनकी उत्पत्ति मानी गई है। बाद में इन्होंने अपनी माता देवहूति को सांख्यज्ञान का उपदेश दिया, जिसका विशद वर्णन श्रीमद्भगवत के तीसरे स्कंध में मिलता है।[1]