उत्तमौजा उत्तर वैदिक परंपरा में सृंजय पांचालों के साथ संबद्ध दिखलाए गए हैं। महाभारत में उत्तमौजा को पांचाल तथा सृंजय दोनों ही कहा गया है। महाभारत के पात्रों में उत्तमौजा एक पराक्रमी राजा था, जिसे 'युद्धविशारद' और 'वीर्यवान' कहा गया है, और जिसने पांडवों की ओर से युद्ध किया था।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चन्द्रचूड़ मणि, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 67