सुमाली

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सुमाली सुकेश नामक राक्षस का पुत्र तथा लंका के राजा रावण का नाना था। इसी की पुत्री कैकसी, जो कि विश्रवा को ब्याही गई थी, रावण, कुम्भकर्ण, शूर्पणखा और विभीषण की माता थी। जब भगवान विष्णु द्वारा राक्षसों का संहार किया जाने लगा, तब सुमाली शेष बचे हुए राक्षसों के साथ लंका को त्याग कर पाताल में जा बसा।

पारिवारिक परिचय

राक्षसों में 'हेति' और 'प्रहेति' दो भाई थे। प्रहेति तपस्या करने चला गया, परन्तु हेति ने भया से विवाह किया, जिससे उसके विद्युत्केश नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। विद्युत्केश के सुकेश नामक पराक्रमी पुत्र हुआ। सुकेश निम्नलिखित तीन पुत्रों का पिता बना-

  1. माल्यवान
  2. सुमाली
  3. माली

ब्रह्मा से वरदान

माल्यवान, सुमाली व माली इन तीनों ने ब्रह्मा की तपस्या करके यह वरदान प्राप्त कर लिये कि हम लोगों का प्रेम अटूट हो और हमें कोई पराजित न कर सके। वर पाकर वे निर्भय हो गये और सुरों, असुरों को सताने लगे। उन्होंने विश्वकर्मा से एक अत्यन्त सुन्दर नगर बनाने के लिये कहा। इस पर विश्‍वकर्मा ने उन्हें लंकापुरी का पता बताकर भेज दिया। वहाँ वे बड़े आनन्द के साथ रहने लगे।

संतान

  • माल्यवान के वज्रमुष्टि, विरूपाक्ष, दुर्मुख, सुप्तघ्न, यज्ञकोप, मत्त और उन्मत्त नामक सात पुत्र हुये।
  • सुमाली के प्रहस्त्र, अकम्पन, विकट, कालिकामुख, धूम्राक्ष, दण्ड, सुपार्श्‍व, संह्नादि, प्रधस एवं भारकर्ण नाम के दस पुत्र हुये।
  • माली के अनल, अनिल, हर और सम्पाती नामक चार पुत्र हुये।

पाताल में निवास

ये सब बलवान और दुष्ट प्रकृति होने के कारण ऋषि-मुनियों को कष्ट दिया करते थे। उनके कष्टों से दुःखी होकर ऋषि-मुनिगण जब भगवान विष्णु की शरण में गये तो उन्होंने आश्‍वासन दिया कि- "हे ऋषियों! मैं इन दुष्टों का अवश्य ही नाश करूँगा।" "जब राक्षसों को विष्णु के इस आश्‍वासन की सूचना मिली तो वे सब मन्त्रणा करके संगठित हो माली के सेनापतित्व में इन्द्रलोक पर आक्रमण करने के लिये चल पड़े। समाचार पाकर भगवान विष्णु ने अपने अस्त्र-शस्त्र संभाले और राक्षसों का संहार करने लगे। सेनापति माली सहित बहुत से राक्षस मारे गये और शेष लंका की ओर भाग गये। जब भागते हुये राक्षसों का भी नारायण संहार करने लगे तो माल्यवान क्रुद्ध होकर युद्धभूमि में लौट पड़ा। भगवान विष्णु के हाथों अन्त में वह भी काल का ग्रास बना। शेष बचे हुये राक्षस सुमाली के नेतृत्व में लंका को त्यागकर पाताल में जा बसे और लंका पर कुबेर का राज्य स्थापित हुआ।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रामायण, उत्तरकाण्ड, रावण के जन्म की कथा (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 23 अक्टूबर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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