वेदमालि रैवत मन्वंतर के एक वेद-वेदांगों के पारदर्शी विद्वान ब्राह्मण थे।
- आगे के समय में वेदमालि परिवार के लिए अनीति से धनोपार्जन करने लगे थे। तदन्तर इनके यज्ञमाली और सुमाली नाम के दो जुड़वाँ पुत्र हुए।
- कुछ ज्ञान होने पर इन्होंने अपने धन का कुछ भाग दोनों पुत्रों को देकर शेष अपने लिए रखा और उसे धर्मकार्य में लगा दिया।
- तदन्तर वेदमालि नर-नारायण के आश्रम बदरीवन गये, जहाँ तप कर पाप मुक्त हुए।[1]
- वेदमालि को जावंती मुनि से ज्ञान मिला था।[2]
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