अंध्रगण एक दुष्ट तथा पापात्मा जाति के लोग कहे गये हैं, जो भगवान विष्णु की उपासना करने से शुद्ध हुए थे।[1]
- दक्षिण देश पर अंध्रगणों का 300 वर्षों तक राज्य था।[2]
- भरत ने इन्हें युद्ध में पराजित किया था।[3][4]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भागवतपुराण 2.4.18.
- ↑ भागवतपुराण 12.1.32; वायुपुराण 45.127; 47.44, 78.69; 99.268, 361
- ↑ भागवतपुराण 9.20.30
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पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 5 |
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