सनातन | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सनातन (बहुविकल्पी) |
सनातन ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों में से एक पुत्र का नाम था, जिन्हें सनातन भी कहते हैं।
- सनक, सनन्दन, सनत्कुमार और सनातन ये ब्रह्मा के चार मानस पुत्र हैं, जिनकी अवस्था शंकर जी से भी अधिक कही गयी है।
- इनके मुख में निरंतर 'श्रीहरि: शरणम' मंत्र रहता है। इनकी अवस्था सदा 5 पाँच वर्ष के शिशु की सी रहती है।
- नारदपुराण का पूरा पूर्वभाग इनके ही द्वारा नारद को उपदिष्ट है।[1]
- सनातन ने नारद जी को भगवत्त्व का उपदेश दिया था। इन्होंने संख्यायन को श्रीमद्भागवत पढ़ाया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 510-511 |
- ↑ छान्दोग्योपनिषद 7|1|1-26; महाभारत शांति पर्व 227, 286; महाभारत अनुशासन पर्व 165-169 कुम्भ को.
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