अवतार
अवतार
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विवरण | हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर का पृथ्वी पर अवतरण (जन्म लेना) अथवा उतरना ही 'अवतार' कहलाता है। |
अवतार का अर्थ | अवतार (धातु 'तृ' एवं उपसर्ग 'अव') शब्द का अर्थ है- उतरना अर्थात् ऊपर से नीचे आना। यह शब्द देवों के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो मनुष्य अथवा पशु के रूप में इस पृथ्वी पर अवतीर्ण होते हैं और तब तक रहते हैं जब तक कि वह उद्देश्य, जिसे वे लेकर यहाँ आते हैं, पूर्ण नहीं हो जाता। |
अवतार संख्या | विभिन्न ग्रन्थों में अवतारों की संख्या भिन्न-भिन्न है। कहीं आठ, कहीं दस, कहीं सोलह और कहीं चौबीस अवतार बताये गए हैं, किन्तु विष्णु के दस अवतार बहुमान्य हैं। कल्कि अवतार जिसे दसवाँ स्थान प्राप्त है, वह भविष्य में होने वाला है। |
दशावतार | मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि |
संदर्भ ग्रंथ | ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण, भागवत पुराण, मार्कण्डेय पुराण, शिव पुराण |
संबंधित लेख | अवतारवाद, विष्णु के अवतार, शिव के अवतार |
अन्य जानकारी | महाभारत में जितने भी प्रमुख पात्र थे वे सभी देवता, गंधर्व, यक्ष, रुद्र, वसु, अप्सरा, राक्षस तथा ऋषियों के अंशावतार थे। |
अवतार (अंग्रेज़ी: Avatar OR Incarnation) का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्त्व है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ईश्वर का पृथ्वी पर अवतरण (जन्म लेना) अथवा उतरना ही 'अवतार' कहलाता है। हिन्दुओं का विश्वास है कि ईश्वर यद्यपि सर्वव्यापी, सर्वदा सर्वत्र वर्तमान है, तथापि समय-समय पर आवश्यकतानुसार पृथ्वी पर विशिष्ट रूपों में स्वयं अपनी योगमाया से उत्पन्न होता है। पुराणों आदि में अवतारवाद का विस्तृत तथा व्यापकता के साथ वर्णन किया गया है। संसार के भिन्न-भिन्न देशों तथा धर्मों में अवतारवाद धार्मिक नियम के समान आदर और श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है। पूर्वी और पश्चिमी धर्मों में यह सामान्यत: मान्य तथ्य के रूप में स्वीकार भी किया गया है। बौद्ध धर्म के महायान पंथ में अवतार की कल्पना दृढ़ मूल है। पारसी धर्म में अनेक सिद्धांत हिन्दुओं और विशेषत: वैदिक आर्यों के समान हैं, परंतु यहाँ अवतार की कल्पना उपलब्ध नहीं है।
अवतार का अर्थ
अवतार (धातु 'तृ' एवं उपसर्ग 'अव') शब्द का अर्थ है- उतरना अर्थात् ऊपर से नीचे आना, और यह शब्द देवों के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो मनुष्य रूप में या पशु के रूप में इस पृथ्वी पर आते (अवतीर्ण होते) हैं और तब तक रहते हैं जब तक कि वह उद्देश्य, जिसे वे लेकर यहाँ आते हैं, पूर्ण नहीं हो जाता। पुनर्जन्म ईसाई धर्म के मौलिक सिद्धांतों में एक है किन्तु उस सिद्धांत एवं भारत के सिद्धांत में अंतर है। ईसाई धर्म में पुनर्जन्म एक ही है, किंतु भारतीय सिद्धांत[1] के अनुसार ईश्वर का जन्म कई बार हो चुका है और भविष्य में कई बार हो सकता है।[2]दूसरे शब्दों में देवताओं के प्रकट होने की तिथियों को अवतार कहते हैं। इन्हें जयन्ती भी कहते हैं।[3]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक ‘हिन्दू धर्मकोश’) पृष्ठ संख्या-54
- ↑ गीता 4|5|8 एवं पुराणों में
- ↑ पुस्तक- धर्मशास्त्र का इतिहास-4, लेखक- पांडुरंग वामन काणे, पृष्ठ संख्या- 482, प्रकाशन- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ
- ↑ निर्ण्यसिन्धु (81-82), कृत्यसारसमुच्चय
- ↑ भागवत पुराण 1.3.6-26; 28, 30, 39
- ↑ पुस्तक- पौराणिक कोश, पृष्ठ संख्या-34
- ↑ कुछ ग्रन्थों में ऐसा उल्लेख है कि कल्कि अवतार अभी प्रकट होने वाला है, किन्तु ग्रन्थ इसकी जयन्ती के लिए श्रावण में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि मानते हैं। वराह पुराण, कृत्यकल्पतरु जहाँ दशावतारों की पूजा का उल्लेख है। -वराहपुराण (48|20-22), कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 333, हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1049)।
- ↑ 10.29.14
- ↑ 2.8.1।1
- ↑ 7.5.1.5.
- ↑ 3।272
- ↑ 7.5.1.1
- ↑ 14.1.2.11
- ↑ 2.1.3.1
- ↑ एको विममे त्रिभिरित् पदेभि:-ऋग्वेद 1.154.3
- ↑ भगवदगीता-4|8
- ↑ गायत्री के 24 अवतार (हिंदी) अखिल विश्व गायत्री परिवार। अभिगमन तिथि: 17 अगस्त, 2014।
- ↑ जानिए, महाभारत में कौन किसका अवतार था... (हिंदी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 17 अगस्त, 2014।
- ↑ मध्य लीला अध्याय 20
- ↑ मध्य लीला 20.263
- ↑ मध्य लीला 20.249
- ↑ भगवान कृष्ण के विभिन्न अवतार (हिंदी) ISKCON desire tree। अभिगमन तिथि: 17 अगस्त, 2014।
- ↑ श्रीमद्भागवत (8.1.5,13)
- ↑ मध्य लीला 20.373
- ↑ शिव के 10 अवतार (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 17 अगस्त, 2014।