प्रजापति
वैदिक ग्रन्थों में वर्णित एक भावात्मक देवता, ब्रह्मा, जो प्रजा अर्थात् सम्पूर्ण जीवधारियों के स्वामी हैं। ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव का हिन्दू धर्म में महत्त्वपूर्ण उच्च स्थान है।
त्रिमूर्ति
ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव तीनों को मिलाकर त्रिमूर्ति कहते हैं। ब्रह्मा सृष्टि करने वाले, विष्णु पालन करने वाले तथा शिव (रुद्र) संहार करने वाले कहे जाते हैं। वास्तव में एक ही शक्ति के ये तीन रूप हैं। इनमें ब्रह्मा को प्रजापति, पितामह, हिरण्यगर्भ आदि नामों से वेदों तथा ब्राह्मणों में अभिहित किया गया है।
स्वरूप
इनका स्वरूप धार्मिक की अपेक्षा काल्पनिक अधिक है। इसीलिए ये जनता के धार्मिक विचारों को विशेष प्रभावित नहीं करते। यद्यपि प्रचलित धर्म में विष्णु तथा शिव के भक्तों की संख्या अत्यधिक है, किन्तु तीनों देवों; ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समान पद प्राप्त हैं, जो कि 'त्रिमूर्ति' के सिद्धान्त में लगभग पाँचवीं शताब्दी से ही मान्य हो चुका है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक हिन्दू धर्म कोश से पेज संख्या 418 | डॉ. राजबली पाण्डेय |उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान (हिन्दी समिति प्रभाग) |राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन हिन्दी भवन महात्मा गाँधी मार्ग, लखनऊ