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12:24, 5 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
अदिति संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 'असीम' है। दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं और कश्यप ॠषि को ब्याही थीं। अदिति को 'देवमाता' कहा गया है । मित्र - वरुण, आदित्य, रुद्र, इन्द्र आदि इन्हीं की संतान बताए गये हैं। आधुनिक दृष्टि से देखें तो अंतरिक्ष से इनका बोध होता है जिसमें सभी आदित्य भ्रमण किया करते हैं।
पौराणिक कथा
हिन्दू पौराणिक कथाओं के वैदिक युग में असीम या अनंत का मानवीकृत रूप और आदित्य नामक स्वर्ण के देवताओं के समूह की माता आदिम देवी के रूप में इन्हें विष्णु सहित कई देवताओं की जननी माना गया है। अदिति आकाश को अवलंब प्रदान करती हैं, सभी जीवों का पालन और पृथ्वी का पोषण करती हैं। इस रूप में इन्हें कभी-कभी गाय के रूप में भी दर्शाया जाता है।
अदिति के पुत्र
आमतौर पर उनके पुत्र आदित्यों की संख्या 12 बताई जाती है। वरुण इनमें प्रमुख हैं। और उनकी ही तरह उन्हें ऋतु (दैवी श्रेणी) का रक्षक माना जाता है। एक श्लोक में उनके नाम वरुण, मित्र आर्यमन, दक्ष, भग और अंश बताए गए हैं। इनमें से कई बार दक्ष को हटाकर इन्द्र, सवितृ (सूर्य) और धातृ को शामिल कर लिया जाता है। कभी-कभी इस शब्द के व्यापक अर्थ में सभी देवताओं को शामिल कर लिया जाता है। जहाँ आदित्यों की संख्या 12 मानी गई है, वहाँ उन्हें वर्ष के 12 सौर महीनों से जोड़ा जाता है। एकवचन के रूप में आदित्य, सूर्य का एक नाम है।
वेदों में
वेद में अदिति को सीमाहीन बताया गया है। पुराण तो आकाश, वायु, माता, पिता, सर्व देवता, सर्व मानव, भूत, वर्तमान, भविष्य सब कुछ अदिति को ही बताते हैं। कश्यप ॠषि की दो पत्नियाँ थीं- अदिति और दिति। अदिति के गर्भ से देव और दिति के गर्भ से दैत्य उत्पन्न हुए। श्रीकृष्ण की माता देवकी 'अदिति का अवतार' बताई जाती हैं।
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