"अदिति": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "ते है ।" to "ते हैं।") |
No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{tocright}} | |||
'''अदिति''' [[संस्कृत]] शब्द है जिसका अर्थ 'असीम' है। [[दक्ष]] प्रजापति की पुत्री थीं और [[कश्यप]] ॠषि को ब्याही थीं। अदिति को 'देवमाता' कहा गया है । मित्र - [[वरुण देवता|वरुण]], [[आदित्य देवता|आदित्य]], [[रुद्र]], [[इन्द्र]] आदि इन्हीं की संतान बताए गये हैं। आधुनिक दृष्टि से देखें तो अंतरिक्ष से इनका बोध होता है जिसमें सभी आदित्य भ्रमण किया करते हैं। | |||
==पौराणिक कथा== | |||
[[हिन्दू]] पौराणिक कथाओं के वैदिक युग में असीम या अनंत का मानवीकृत रूप और आदित्य नामक स्वर्ण के [[देवता|देवताओं]] के समूह की माता आदिम देवी के रूप में इन्हें विष्णु सहित कई देवताओं की जननी माना गया है। अदिति [[आकाश]] को अवलंब प्रदान करती हैं, सभी जीवों का पालन और पृथ्वी का पोषण करती हैं। इस रूप में इन्हें कभी-कभी [[गाय]] के रूप में भी दर्शाया जाता है। | |||
==अदिति के पुत्र== | |||
आमतौर पर उनके पुत्र आदित्यों की संख्या 12 बताई जाती है। वरुण इनमें प्रमुख हैं। और उनकी ही तरह उन्हें ऋतु (दैवी श्रेणी) का रक्षक माना जाता है। एक [[श्लोक]] में उनके नाम [[वरुण देवता|वरुण]], मित्र आर्यमन, दक्ष, भग और अंश बताए गए हैं। इनमें से कई बार दक्ष को हटाकर [[इन्द्र]], सवितृ ([[सूर्य देव|सूर्य]]) और धातृ को शामिल कर लिया जाता है। कभी-कभी इस शब्द के व्यापक अर्थ में सभी देवताओं को शामिल कर लिया जाता है। जहाँ आदित्यों की संख्या 12 मानी गई है, वहाँ उन्हें वर्ष के 12 सौर महीनों से जोड़ा जाता है। एकवचन के रूप में [[आदित्य देवता|आदित्य]], सूर्य का एक नाम है। | |||
==वेदों में== | |||
[[वेद]] में अदिति को सीमाहीन बताया गया है। [[पुराण]] तो [[आकाश तत्व|आकाश]], [[वायु देव|वायु]], [[माता]], [[पिता]], [[देवता|सर्व देवता]], सर्व मानव, भूत, वर्तमान, भविष्य सब कुछ अदिति को ही बताते हैं। [[कश्यप|कश्यप ॠषि]] की दो पत्नियाँ थीं- अदिति और [[दिति]]। अदिति के गर्भ से [[देव]] और दिति के गर्भ से [[दैत्य]] उत्पन्न हुए। [[श्रीकृष्ण]] की माता [[देवकी]] 'अदिति का [[अवतार]]' बताई जाती हैं। | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 17: | ||
}} | }} | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{ऋषि मुनि2}}{{ऋषि मुनि}}{{पौराणिक चरित्र}} | |||
[[Category:पौराणिक चरित्र]] | |||
[[Category: पौराणिक कोश]] | [[Category: पौराणिक कोश]] | ||
[[Category: | [[Category:ऋषि मुनि]] | ||
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]] | [[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:24, 5 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
अदिति संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 'असीम' है। दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं और कश्यप ॠषि को ब्याही थीं। अदिति को 'देवमाता' कहा गया है । मित्र - वरुण, आदित्य, रुद्र, इन्द्र आदि इन्हीं की संतान बताए गये हैं। आधुनिक दृष्टि से देखें तो अंतरिक्ष से इनका बोध होता है जिसमें सभी आदित्य भ्रमण किया करते हैं।
पौराणिक कथा
हिन्दू पौराणिक कथाओं के वैदिक युग में असीम या अनंत का मानवीकृत रूप और आदित्य नामक स्वर्ण के देवताओं के समूह की माता आदिम देवी के रूप में इन्हें विष्णु सहित कई देवताओं की जननी माना गया है। अदिति आकाश को अवलंब प्रदान करती हैं, सभी जीवों का पालन और पृथ्वी का पोषण करती हैं। इस रूप में इन्हें कभी-कभी गाय के रूप में भी दर्शाया जाता है।
अदिति के पुत्र
आमतौर पर उनके पुत्र आदित्यों की संख्या 12 बताई जाती है। वरुण इनमें प्रमुख हैं। और उनकी ही तरह उन्हें ऋतु (दैवी श्रेणी) का रक्षक माना जाता है। एक श्लोक में उनके नाम वरुण, मित्र आर्यमन, दक्ष, भग और अंश बताए गए हैं। इनमें से कई बार दक्ष को हटाकर इन्द्र, सवितृ (सूर्य) और धातृ को शामिल कर लिया जाता है। कभी-कभी इस शब्द के व्यापक अर्थ में सभी देवताओं को शामिल कर लिया जाता है। जहाँ आदित्यों की संख्या 12 मानी गई है, वहाँ उन्हें वर्ष के 12 सौर महीनों से जोड़ा जाता है। एकवचन के रूप में आदित्य, सूर्य का एक नाम है।
वेदों में
वेद में अदिति को सीमाहीन बताया गया है। पुराण तो आकाश, वायु, माता, पिता, सर्व देवता, सर्व मानव, भूत, वर्तमान, भविष्य सब कुछ अदिति को ही बताते हैं। कश्यप ॠषि की दो पत्नियाँ थीं- अदिति और दिति। अदिति के गर्भ से देव और दिति के गर्भ से दैत्य उत्पन्न हुए। श्रीकृष्ण की माता देवकी 'अदिति का अवतार' बताई जाती हैं।
|
|
|
|
|