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'''जाबालि''' [[कश्यप]] के वंश में उत्पन्न एक [[ऋषि]] थे। ये [[दशरथ|राजा दशरथ]] के गुरु और मंत्री थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= | '''जाबालि''' [[कश्यप]] के वंश में उत्पन्न एक [[ऋषि]] थे। ये [[दशरथ|राजा दशरथ]] के गुरु और मंत्री थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=187|url=}}</ref> | ||
*इन्होंने [[चार्वाक दर्शन|चार्वाक]] के सिद्धांतों का प्रयोग करके [[राम|श्रीराम]] को वनगमन से विमुख करने की चेष्टा की थी।<ref>[[रामायण]]</ref> | *इन्होंने [[चार्वाक दर्शन|चार्वाक]] के सिद्धांतों का प्रयोग करके [[राम|श्रीराम]] को वनगमन से विमुख करने की चेष्टा की थी।<ref>[[रामायण]]</ref> |
11:25, 10 दिसम्बर 2016 के समय का अवतरण
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जाबालि कश्यप के वंश में उत्पन्न एक ऋषि थे। ये राजा दशरथ के गुरु और मंत्री थे।[1]
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